लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप लेखक: Luv - अक्तूबर 20, 2017 होटल की चाय हलकी गरमबिस्तर भी नहीं ज्यादा नरम लुटाने तो आँसू ही हैं पालें क्यों पैसों का भरम? लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप टिप्पणियाँ
लेखक: Luv - अक्तूबर 20, 2017 रात देखे अपने मैले हाथ कटोरी पंजे वाले के साथ कल की सबसे बड़ी ख़ुशी - खूब धो चमकाना अपने हाथ. और पढ़ें
लेखक: Luv - अक्तूबर 20, 2017 धीरे धीरे फासला बढ़ता रहा धीरे धीरे अजनबी बनता रहा एक रात बिस्तर पर पड़े सावन सारा चुपचाप रिसता रहा. और पढ़ें
लेखक: Luv - अक्तूबर 20, 2017 और का स्वर्ग सहती है लार की नदी बहती है शायद उगा कुछ नाबदान में साथ लटकी चमगादड़ कहती है. और पढ़ें
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