नदी का पत्थर

यह नदी पहाड़ी चटुल चपल
पानी फिसला एक एक पल
टेढ़ा मेढ़ा पत्थर मीलों लुढ़का
भीतर तक चिकना गोल सजल
                ©ऋषभदेव शर्मा

टिप्पणियाँ

  1. जीवन एक समंदर है
    सारे सुख दुख इसके अंदर है
    दौलत को देख कर जीना भंवर है
    हॄदय में सच्चाई हो यही जीवन का मंतर है।। डॉ मोनिका शर्मा

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